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Truth About Payal
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Truth About Payal

The Epic Saga of A 26 Year-OLD
Unveiling the False Narratives Circulated on Social Media About the Epic Saga of a 26-Year-Old.
यह पूरा लेख सारांश के रूप में उपलब्ध है , देखने के लिए पर क्लिक करें |

यह वेबसाइट हमें क्यू बनानी पड़ी?

भविष्य में फिर कभी ऐसी नीच और तुच्छ हरकत दूसरा कोई भी आसामजिक तत्व करने की हिम्मत ना कर सके इसी मुख्य उद्देश्य के साथ ये वेबसाइट बनाई गई है।
कर्मसत्ता तक तो सच्चाई पहुंची हुई ही है, लेकिन इस स्मार्टफोन और डिजिटलाइजेशन के जमाने में उन सभी तक पायल बहन की सच्चाई पहुंचनी चाहिए, जिन तक कुछ आसामाजिक तत्वों ने झूठी और गलत बाते सिर्फ पायल बहन और हमरे पूज्य गुरुदेव को बदनाम करने के लिए वायरल की है।

समर्पण की पथगाथा :

साध्वी नव्यनिधि श्री जी महाराज साहेब

इतिहास - एक अनूठे सफ़र का !

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Hindaun City
सन् 2016 में पूज्य पं. श्री धैर्यसुंदर विजय जी महाराज साहेब आदि ठाणा 4 का चातुर्मास राजस्थान के एक शहर करौली जिले में रहे हिंडौन सिटी में हुआ। इस चातुर्मास का मुख्य उद्देश्य समाज में धर्म के प्रति जागरूकता फैलाना और सम्यग् ज्ञान का प्रकाश फैलाना था। चातुर्मास से पहले, हिंडौन के बाहर कांचरोली में एक शिविर का आयोजन हुआ जिसमें 300 युवा (15-25 वर्ष) ने भाग लिया। शिविर के बाद, महात्माओं ने चातुर्मास के लिए हिंडौन में प्रवेश किया और प्रवचन की धारा चालू हो गई। प्रवचन में लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती रही। पहली शिविर में ​1,000, दूसरी में 1,300, तीसरी में 1,600 और चौथी में 2,700 लोग शामिल हुए।
इस 350 घरों वाले संघ में महात्माओं का चातुर्मास अत्यंत सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जहां श्रद्धा और सम्यग् ज्ञान के अनगिनत दीप प्रज्वलित हुए। अगले वर्ष, महात्माओं ने अपने बहन साध्वी जी श्री धैर्यनिधि जी महाराज साहेब को उसी शहर में चातुर्मास करने के लिए प्रेरणा दी और संघ ने यह चातुर्मास भी करवाया। इस चातुर्मास ने पिछले वर्ष बोए गए आस्था और धर्म के बीजों को अमृत समान जल से सींचा, जिससे वे पौधे न केवल पनपने लगे बल्कि हरे-भरे वृक्ष बनने की दिशा में अग्रसर हो गए। इस चातुर्मास का मुख्य उद्देश्य संघ और समाज के लोगों को धर्म से जोड़ना और धार्मिक आस्था को मजबूत बनाने का था। चातुर्मास के अंत तक अनेक परिवारों के अंदर धार्मिकता का दीप प्रज्वलित हो चुका था । उन्ही परिवारों में से एक परिवार था ​श्रीमान मुरारीलाल जैन ( शेरपुर वाले ) का । परिवार के चारो सदस्य अर्थात् मुरारीलाल जी , उनके श्राविका संगीता बहन , उनका बेटा मयंक एवं उनकी बेटी पायल , ये चारो धर्म की राह पर अच्छी तरह आगे बढ़ रहे थे। अन्य परिवारों की तरह मुरारीलाल जी के भी पूरे परिवार ने उन महात्माओं (पं. श्री धैर्यसुंदर विजय जी और पं. श्री निर्मोहसुंदर विजय जी महाराज साहेब) को गुरु रूप में स्वीकार किया था। लेकिन जब पायल ने दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की, तो मानो एक तूफान आ गया। घर में हर रोज नई बहस और नई तनातनी होने लगी। पायल का धर्म के प्रति समर्पण और अधिक प्रबल हो रहा था, और उसकी दीक्षा की भावना अब अडिग हो चुकी थी। पायल के लिए हर दिन एक नई चुनौती आती। उसकी धार्मिक गतिविधियाँ अब घर में विवाद का कारण बन गई थीं। ऐसा लगता था जैसे वह एक ऐसी बंजर भूमि में अपने सपनों का उपवन रोपने की कोशिश कर रही हो, जहां हर पौधा सूखने की कगार पर हो।

परिवार का विरोध

परिवार उसकी धार्मिकता को हर दिन एक नए स्तर पर चुनौती देता। उसकी हर साधना, हर पूजा, हर प्रार्थना अब संघर्ष का रूप ले चुकी थी। पायल जब भी सामायिक करने बैठती, उसका सगा भाई स्थापना जी हिला देता, उसे परेशान करता। जिन गुरु भगवंतों को उसने अपने जीवन का आदर्श माना था, उनके फोटो फाड़ दिए जाते और धार्मिक किताबे भी फाड़ दी जाती थी। उसकी धार्मिक साधना में विघ्न डालने के लिए उसके उबले हुए पानी में कच्चा पानी मिला दिया जाता, तांत्रिक प्रयोग किए जाते, उसके सिर पर भभूत (राख) डाली जाती, पानी में सिंदूर मिलाया जाता, मार पीट की जाती थी और एक बार तो उसका गला तक दबाने की कोशिश भी की गई।
सन् 2021 में पूज्य पं. श्री धैर्यसुंदर विजय जी और पं. श्री निर्मोहसुंदर विजय जी महाराज साहेब का चातुर्मास फिर से हिंडौन में हुआ। लेकिन इस चातुर्मास में पायल को नजरकैद में रखा गया, उसके पीछे जासूस की तरह लोगो को लगा दिया की कही वो महाराज साहेब से किसी भी प्रकार की कोई बात ना करले। उसे उपाश्रय में सिर्फ प्रवचन के समय में ही जाने की छूट थी। वह प्रवचन में या मंदिर में भी जाने के बाद गलती से भी किसी महात्मा से बात करले तो घर में संघर्ष होता था। किसी ना किसी को उसके पीछे हमेशा लगाया जाता था जिससे पायल के ऊपर नजर रखी जा सके। महात्माओं का चातुर्मास होना या ना होना पायल के लिए एक समान ही था। पायल को प्रवचन के अलावा उस चातुर्मास में उसकी भावना के अनुरूप कोई लाभ नहीं मिला।
हर प्रताड़ना के बाद, पायल और अधिक मजबूत होकर उभरी। पायल ने धार्मिक अभ्यास और सेवा के प्रति अपनी निष्ठा को और भी मजबूत किया। पायल उस संघ की पाठशाला संभालती थी, वहां के बच्चों को पढ़ाती थी। पायल ने अपने धार्मिक प्रयासों को गुप्त रखकर (अपने घरवालों से छुपाकर) अकेले ही 5 प्रतिक्रमण, 4 प्रकरण, एक भाष्य, संस्कृत आदि का अध्ययन पूरा किया। पायल पर पाबंदियां किस हद तक थी कि पल्लीवाल क्षेत्र में जब पल्लीवाल क्षेत्र के ही एक लड़के एवं एक लड़की की दीक्षा का ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित हुआ तो उसमें सारा पल्लीवाल क्षेत्र शामिल हुआ मगर पायल को एक दिन भी जाने की छूट नहीं थी।

गुरु भगवंतों की सलाह

पायल की इच्छा और मजबूत बने इसलिए गुरु भगवंत ने पायल को समझाया कि अगर उसे दीक्षा की भावना है, तो वह लिखना शुरू कर दे। धीरे-धीरे पायल ने अपनी डायरी में लिखना शुरू किया, "मेरी दीक्षा हो गई है, मैं बहुत प्रसन्न हूं।" लेकिन उसके भाई ने उस डायरी के पन्ने फाड़कर फेंक दिए। सिर्फ आधी लाइन का वाक्य भी मयंक से सहन नहीं हुआ। महाराज साहेब के लिए मयंक के दिल में रहा द्वेष कितना होगा उसका अंदाजा आप इन सब घटनाओं से लगा सकते हो। गौर करने वाली बात ये है की मयंक की ये सब हरकतों को (पायल को परेशान करना हो या मारना पीटना हो ) आंखों के सामने होते हुए भी मुरारीलाल जी हो या संगीता बहन हो (पायल के माता - पिता) या परिवार हो सभी मूक दर्शक बन कर बैठे थे। मुरारीलाल जी भी मयंक को रोक नहीं सके तो सोचने के लायक है कि पायल के पास अब क्या रास्ता बचा था???
इससे पायल को इतना तनाव और मानसिक दुख हुआ कि पायल डिप्रेशन में चली गईं और वह घर से दूर जाने की इच्छा करने लगीं । इस बीच चातुर्मास के दौरान गुरु भगवंत के द्वारा समाज के अग्रणियों को समझाया गया की यह सब ठीक नहीं हो रहा और समाज के अग्रणियों ने मुरारीलाल जी को समझाया। इस संघर्ष से मुक्ति पाने के लिए और थोड़ी शांति पाने के लिए पायल को ऋषिकेश अपनी मौसी के पास भेज दिया गया। पायल ने भी शांति पाने के लिए ऋषिकेश जाना सही समझा और आप समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति बिना किसी कारण इतने समय के लिए अपने रिश्तेदारों के पास क्यों रुकेगा ??? तीन महीने ऋषिकेश रुकने के बाद जब घर लौटने की बात आई तो वही परिस्थिति के पुनरावर्तन के भय के कारण ऋषिकेश से बिना किसी को जानकारी दिए घर छोड़ कर जाना उचित समझा।
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घर से भागने की इच्छा

सन 2017 से लगाकर 2020- 21 तक जब भी पायल ने कई बार गुरु भगवंत से पूछा कि वह घर से भागना चाहती है, तो गुरु भगवंत ने हर बार उसे समझाया और मना किया कि वह ऐसा कोई निर्णय न ले। पायल का धैर्य टूट गया और वह खुद ही निर्णय लेने पर आ गई कि वह अब वहां से भाग जाएगी। उसका दिल उस अंजान स्थान की ओर धकेलने लगा, जहां शांति और समर्थन की कोई आवाज थी। अपने फैसले के साथ दिनांक 24/ 07/2022 को वह ऋषिकेश अपने मौसी के घर से भाग गई और पालीताणा आदिनाथ दादा की शरण में पहुंची। जिसकी जानकारी अपने परिवार को उन्होंने 27-07-2022 को दी ।

वहां दिनांक 01 अगस्त 2022 को पायल ने एक एफिडेविट कराया, जिसमें उसने अपनी बालिगता, जिम्मेदारी और प्रताड़ना के बारे में सब कुछ स्पष्ट किया। "मैं बालिग हूं, मैं २३ साल की पढ़ी-लिखी एक जिम्मेदार लड़की हूं, मुझे घर में धर्म करने नहीं दिया जा रहा था, मुझे परेशान किया जा रहा था, प्रताड़ित किया जा रहा था, मेरे साथ मारपीट हो रही थी।" एफिडेविट करवाने के बाद पायल ने उसकी एक नकल हिंडौन सिटी पुलिस थाने में तथा एक नकल ऋषिकेश पुलिस थाने में भिजवाई जिससे उसके भागने के पश्चात की गई गुमशुदगी की रिपोर्ट निरस्त हो। इसके बाद, पालीताणा में 15 दिनों तक दूसरे ग्रुप के साध्वी जी के पास पायल रुकी और बाद में वह अपनी गुरूनी पूज्य साध्वी जी श्री धैर्यनिधि जी महाराज साहेब के पास प्रतापगढ़ पहुंची।
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अस्वीकृति और संघर्ष

साध्वी जी भगवंत के पास जैसे ही पायल बहन पहुंची तो साध्वी जी भगवंत के द्वारा उनके परिवार को समाचार दिए गए । ​परिवार ने स्पष्ट शब्दों में नकार दिया और कहा, "आज से तू हमारे लिए मर गई है। तू कुएं में जाकर मर जा फिर भी हमें कोई मतलब नहीं है।" इतना ही नही, उसके चरित्र के ऊपर भी उन्होंने सवाल उठाए और गंदे से गंदे इल्जाम भी लगाए। दो साल तक साध्वी जी भगवंत के समीप रहने के दौरान, परिवार का कोई भी सदस्य (सिर्फ एक सदस्य एक ही बार मिलने आया) मिलने नहीं आया, पूछने नहीं आया। इसके बावजूद, पायल ने अपनी निष्ठा और साधना में सुदृढ़ता बढ़ाई, जो उसे अपने पथ पर दृढ़ रहने के लिए प्रेरित करती रही।

संयम की अदम्य प्यास एवं स्वयं वेश धारण

आखिर में पायल गच्छाधिपति जी के पास गई और बोली, "मुझे दीक्षा दे दीजिए," मगर उन्होंने भी यही कहा कि, "तू अनुमति का इंतजार कर।" पायल ने कहा, "कब तक इंतजार करूंगी, कल का भरोसा नहीं है, मेरे आयुष्य का भरोसा नहीं है, आखिर कब तक इंतजार करती रहूंगी।" अंत में जब गच्छाधिपति जी ने भी धैर्य रखने को कहा, तब पायल ने दिल में रहे वैराग्य के प्रबल विस्फोट के कारण 15 अप्रैल 2024 को अपने हाथों से बाल काट लिए (बॉयकट जितने बाल बचे थे) और खुद से ही साध्वी जी के कपड़े उठाकर वेश परिवर्तन कर लिया (जो कपड़े अलग रखे हुए थे रूम में)। 15 अप्रैल को साध्वी वेश लेने से पूर्व, ​पायल ने एक पत्र लिखा जिसकी एक कॉपी अपने परिवार को हिंडौन सिटी स्पीडपोस्ट से भेजी, एक पत्र अपने पास रखा और एक पत्र पुलिस स्टेशन में जमा करवाया कि, "मैं अपनी स्वेच्छा से दीक्षा ले रही हूं और मेरी दीक्षा से यदि मेरे गुरु भगवंतों को परेशान किया गया तो परेशान करने वालों पर एक्शन लिया जाए।" पत्र में खास बात यह लिखी थी कि, "मैं राजस्थान की धरती से हूं। मीरा बाई को भी जहर का प्याला मिला था, मैंने भी प्रभु के लिए धर्म के नाम पर बहुत कष्ट सहन किया मगर मेरे पास अब दो ही रास्ते हैं - आत्महत्या या आत्मकल्याण और मैं मेरे प्रभु की आज्ञा के अनुरूप आत्मकल्याण के रास्ते पर जा रही हूं। मुझे यह भी पता नहीं कि मुझे मेरे गुरुनी स्वीकार करेंगे भी या नहीं? मगर आत्महत्या के रास्ते से तो इस रास्ते को मैं ज्यादा अच्छा मानती हूं।’’

विधिपूर्वक दीक्षा

जब ये परिस्थिति का ज्ञापन उनके गच्छाधिपति जी को किया गया था तो गच्छाधिपतिजी ने इस अवस्था में उसे ऑफिशियली विधि पूर्वक दीक्षा देने के लिए परमिशन देदी। क्युकी जब घर वालो को इस परिस्थिति से ज्ञात करवाया गया तो उन्होंने बोल दिया की "ये अविधि से ग्रहण की गई दीक्षा हमे मान्य नहीं है" जब ऐसा बोल दिया तो एक ही रास्ता बचा था की विधिपूर्वक दीक्षा दे दी जाए ताकि उन्हें मान्य हो और "26 अप्रैल 2024 कोल्हापुर से 10 KM आगे कलश मंदिर पर पायल बहन की विधिपूर्वक दीक्षा हुई। इस अवधि में घर से एक भी कॉल नही आया ना ही कोई देखने या पूछने आया। और बड़ी दीक्षा 14 जून 2024 को रानेबेन्नूर के अंदर श्री संघ के बीच पूज्य गच्छाधिपतिजी के आशीर्वाद एवं सकल संघ की मंगल शुभकामनाओं के साथ संपन्न हुई।"
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दीक्षा बाद पायल बहन
उनका नूतन नाम रखा गया पूज्य साध्वी जी श्री नव्यनिधि श्री जी महाराज साहेब। प्रभु और श्री संघ के आशीर्वाद से उनका संयम जीवन प्रगतिमान है, वो प्रसन्न है, आनंद में है और इसी तरह आनंद में रहे ऐसी सबकी प्रभु से प्रार्थना।

प्रमाणिकता के लिए आवश्यक दस्तावेज़ :


पायल बहन द्वारा लिखा गया अंतिम लेटर :
घाटकोपर का दस्तावेज :
Affidavit:
Video Recordings

Audio Recordings :

• Call Recording of Payal with Murarilalji around 10 November 2023


Summary Of The Audio Clip (Click To View)

कॉल की शुरुआत: - पायल मुरारीलालजी को "बाबाजी" कहकर सम्मानपूर्वक संबोधित करती है - करीबी रिश्ते का संकेत - दीक्षा की शुभ तिथि की सूचना देती है - पायल का स्वर विनम्र परंतु घबराया हुआ मुरारीलालजी की प्रतिक्रिया: - तत्काल और विस्फोटक - पायल पर अनादर का आरोप - परिवार की स्वीकृति न लेने पर नाराजगी - पितृसत्तात्मक परिवार संरचना का संकेत संघर्ष का बढ़ना: - मुरारीलालजी धमकियाँ देते हैं - गंभीर परिणामों की चेतावनी - सामाजिक बहिष्कार की धमकी - भावनात्मक हेरफेर और नियंत्रण का प्रयास पायल का दृढ़ रुख: - मौखिक दुर्व्यवहार के बावजूद अडिग - निर्णय को अंतिम बताती है - परिवार की अनुमति की आवश्यकता से इनकार अतीत का खुलासा: - पायल दुर्व्यवहार और नियंत्रण के इतिहास का उल्लेख करती है - आध्यात्मिकता में शरण लेने के कारणों का स्पष्टीकरण - शक्ति असंतुलन का प्रकटीकरण पायल का प्रतिरोध: - मुरारीलालजी के खुशहाल परिवार के दावे को चुनौती - पिछली घटनाओं का उल्लेख करके पाखंड उजागर मुरारीलालजी का प्रत्युत्तर: - सामाजिक मानदंडों का हवाला - पायल के चरित्र पर सवाल उठाते हैं समग्र परिदृश्य: - पारिवारिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संघर्ष - पीढ़ीगत मतभेद और बदलते सामाजिक मूल्य

Timestamps :

09:07-09:20-10:00— पायल की माताजी ने जीतू भाई को, जिनकी दोनों संतानों ने चरित्र ग्रहण किया है, "जीतू कुत्ता” जैसे अपशब्द कहें।
• Call Recording of Mayank Bhai and Pradeep Ji Jain Kolhapur Jain Sangh :


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संदर्भ: - पायल ने जैन साध्वी बनने के लिए स्वयं दीक्षा ली - परिवार के बिना जानकारी के यह कदम उठाया
प्रमुख व्यक्ति: - प्रदीप जैन: कॉल करने वाले, कोल्हापुर से - मयंक जैन/उनकी मां: पायल के भाई और माताजी (कॉल प्राप्त करने वाले)
पायल की कार्रवाई: - दीक्षा लेने से पहले पत्र लिखा - पत्र की कॉपी 3 जगह भेजी, एक पिता के पते पर (वापस लौट आया)
परिवार के आरोप: - पायल का अपहरण करके जबरदस्ती दीक्षा दी गई - जैन साधुओं पर युवाओं के साथ छेड़छाड़ और अनुचित व्यवहार का आरोप
प्रदीप भाई की भूमिका: - गुरु महाराज की ओर से परिवार को सूचित कर रहे हैं - परिवार को शांत करने की कोशिश - पायल के वयस्क होने और स्वयं निर्णय लेने पर जोर - गुरु महाराज द्वारा दीक्षा में विलंब की कोशिश का उल्लेख - साधुओं द्वारा किसी गलत काम से इनकार - परिवार के भीतर समस्या को बातचीत से सुलझाने का सुझाव
बातचीत का परिणाम: - परिवार गुस्सा और निराशा व्यक्त करता है - जैन समुदाय के उच्च अधिकारियों के संपर्क की मांग - प्रदीप भाई संपर्क जानकारी देने को सहमत
मुख्य निष्कर्ष: - परिवार की इच्छाओं और व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संघर्ष

Timestamps :

01:28 - झूठा आरोप कि लड़की को किडनैप करके ले गए (संगीता बहन ने लगाया) 19:48 - झूठ बोला कि समाज को अपमानित किया, गुमराह किया कि सब प्री-प्लान्ड है, जबकि सब स्पष्ट है 22:27 - मयंक ने झूठी कहानी सुनाते हुए कहाँ कि महाराज साहेब ने बच्ची को फंसा लिया
• Call Recording Of Payal With Her Family Members:

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पायल और उसके पिता मुरारी लाल जी के बीच गंभीर विवाद:
पायल: - आध्यात्मिक मार्ग अपनाने के लिए घर छोड़ दिया - महाराज साहब के साथ प्रतापगढ़ में है - परिवार की राय की परवाह नहीं करती - पारिवारिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाती है - अपने निर्णय पर दृढ़ है
मुरारी लाल जी (पिता): - पायल के कार्यों से नाराज और धोखा महसूस करते हैं - परिवार की प्रतिष्ठा की चिंता करते हैं - पायल की ईमानदारी पर सवाल उठाते हैं - आध्यात्मिक दीक्षा की अनुमति देने से इनकार करते हैं - महाराज साहब को दोषी ठहराते हैं
दोनों पक्ष एक-दूसरे को स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। विवाद तनावपूर्ण और भावनात्मक है।

Timestamps:

03:10 - 03:20 -तूने ब्रह्मचारी व्रत लिया है वैसे तू कोन कोन के साथ रुक के आई है 03:59- 04:13 - ये हमरे लिए मर गई 09:06-09:26 मयंक ने महाराज साहेब को चारित्र हीन कहा, महाराज साहेब लड़कियों का शोषण करते है है ऐसा गलत गलत हमारे पूज्यो के लिए कहा... 19:45- 20:04 - एक दीक्षा के पीछे तीन मौत होंगी 21:25- 21:53 — महाराज साहेब को भगोड़ा कहा
• Recording Of Payal’s Meet With Her Family Members in Ambawadi:

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यह एक जटिल और भावनात्मक बातचीत है पायल और उसके परिवार के बीच, जिसमें मुख्य रूप से दीक्षा (जैन धर्म में दीक्षा) लेने की उसकी इच्छा पर केंद्रित है। यहाँ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:
पायल का दृढ़ संकल्प: पायल अपने परिवार के विरोध के बावजूद दीक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग है। वह इस मार्ग के प्रति गहराई से आकर्षित महसूस करती है और इसे अपनी सच्ची पुकार मानती है।
परिवार का विरोध और सामाजिक दबाव: पायल का परिवार, खासकर उसके पिता और अन्य रिश्तेदार, उसकी दीक्षा लेने के सख्त खिलाफ हैं। वे सामाजिक कलंक, पारिवारिक प्रतिष्ठा और पायल के भविष्य की संभावनाओं के बारे में चिंता जताते हैं।
पिछले प्रयास और अविश्वास: पायल को दीक्षा से रोकने के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए हैं, जिसमें उसे दूर भेजना और यहां तक कि "तांत्रिक" प्रथाओं का सहारा लेना भी शामिल है। इन कार्यों ने पायल को गहराई से आहत किया है और उसके परिवार के प्रति अविश्वास पैदा किया है।
सामुदायिक भागीदारी और विभाजन: समुदाय, जिसका प्रतिनिधित्व विभिन्न सदस्यों और बुजुर्गों द्वारा किया जाता है, इस मुद्दे पर विभाजित है। जहाँ कुछ पायल के फैसले का समर्थन करते हैं, वहीं अन्य उसके परिवार का पक्ष लेते हैं, जिससे समुदाय के भीतर तनाव और संघर्ष पैदा होता है।
समझ और स्वतंत्रता के लिए पायल की याचना: पायल बार-बार अपने परिवार से उसके फैसले का सम्मान करने और उसके आध्यात्मिक मार्ग में हस्तक्षेप न करने के लिए कहती है। वह इस बात पर जोर देती है कि दीक्षा एक व्यक्तिगत पसंद है और इसे पारिवारिक दबाव या सामाजिक अपेक्षाओं के अधीन नहीं होना चाहिए।
बातचीत और संभावित समझौता: अंत में, एक संभावित समझौता सामने आता है: पायल इस समझ के साथ अस्थायी रूप से घर लौटने के लिए सहमत होती है कि उसके परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा, इस समझ के साथ कि दीक्षा के लिए उसकी खोज का अंततः सम्मान किया जाएगा।
कुल मिलाकर, बातचीत पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और व्यक्तिगत आध्यात्मिक आकांक्षाओं के बीच टकराव को उजागर करती है। अपने चुने हुए मार्ग में पायल का अटूट विश्वास सामाजिक मानदंडों से मुक्त होने और अपनी सच्चाई की खोज करने वाले युवा व्यक्तियों के सामने आने वाली जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर करता है।

Timestamps:

04:22 पायल दीदी को विश्वास नहीं है क्योंकि पहले विश्वास तोड़ा है
06:00 साध्वी जी से गोपाल - किसी के व्यक्तिगत मामले में समाज क्या करेगा। समाज शादी में कितना शामिल हुआ
07:35 ऋषिकेश जाना हुआ मानसिक तनाव कम करने के लिए
09:03 विश्वास दिलाया कि हम मानेंगे (झांसे) में रखकर मानसिक तनाव दिया
09:13 साध्वी जी - एक व्यक्ति के कहने से माताजी का वरघोड़ा रुका तो एक व्यक्ति की वजह से समाज हिल सकता है। भरोसा किसका
12:27 साध्वी जी मुरारीलाल जी से पूछती हैं - कौन सी लड़की अपना घर छोड़कर तीन-तीन महीने दूसरे घर में रुकने जाती है। ऐसी क्या मजबूरी रही कि तीन महीने दूसरे के यहाँ जाना पड़ा
13:00 साध्वी कहती हैं कि पहला फोन यह था कि तू हमारे लिए मर गई है तू कुएं में डूब के मर जा
13:13-14:05 साध्वी जी कहती हैं - आखिरी कॉल था तुझे हिंडन में पैर रखने नहीं देंगे तोड़ देंगे। + चरित्र पर सवाल उठा दिया (पायल ने खुद बोला)
14:20 पायल दीदी की आवाज - चरित्र के बारे में, कहा मुंह काला करवा कर आई है.....
14:43 पर मुरारीलाल ने कबूल किया कि गुस्से में सारी बात हो जाती है
17:02 गुरुदेव के पास मम्मी बोली कि घर आए और इसके साथ क्या हो इसकी कोई गारंटी नहीं है (साध्वी जी ने बताया)
24:23-25:08 साधु साध्वी जी के लिए समरसता खत्म हो रही है श्रद्धा टूट रही है
25:30 तीन थोय के चातुर्मास में जब समाज टूट रहा था तब समाज कहाँ गया
इसके बाद सीधे
29:15-30:07 पायल दीदी की आवाज - घरवाले बोले कि दीक्षा लेने से हमारे परिवार का नाम खराब होगा हमारी शादी ही होती है तेरी भी करवाएंगे। दूसरे जन्म में लेना दीक्षा उसके लिए मरना है तो मर जा
31:00-32:25 तांत्रिक प्रयोग, पापा सामने बैठे हैं। पायल की आवाज
सीधे
42:15 मुरारीलाल जी के साथ 40 लोगों ने विरोध किया वरघोड़ा का — दीक्षा के लिए 40 लोग विरोध करेंगे तो - पायल
44:05 व्यक्तिगत मामला समाज में उठाया (पायल)
सीधे
55:00 गोपाल जी से मुरारीलाल जी — समाज आपके साथ इसलिए आया है क्योंकि आपने समाज को विश्वास दिलाया था आप बेटी की भावना का सम्मान करेंगे और उसकी बात सुनेंगे आप इस तरह से बोलेंगे तो समाज आपके साथ......
62:33 मुरारीलाल संघ का आदमी था इसलिए उसकी बात का मान रखा और वरघोड़ा स्थगित किया

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