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Truth About Payal
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इतिहास

मुख्य बिंदु:
चातुर्मास 2016:
पूज्य पं. श्री धैर्यसुंदर विजय जी महाराज साहेब आदि ठाणा 4
स्थान: हिंडौन सिटी, करौली जिला, राजस्थान
उद्देश्य: धर्म जागरूकता और सम्यक ज्ञान का प्रसार
चातुर्मास पूर्व शिविर:
स्थान: कांचरोली (हिंडौन के बाहर)
प्रतिभागी: 300 युवा (15-25 वर्ष)
चातुर्मास की प्रगति:
प्रवचनों में उपस्थिति बढ़ी
शिविर उपस्थिति: पहला - 1,000, दूसरा - 1,300, तीसरा - 1,600, चौथा - 2,700
350 घरों का संघ
सफल समापन
अगले वर्ष का चातुर्मास:
साध्वी जी श्री धैर्यनिधि जी महाराज साहेब
उसी शहर में
पिछले वर्ष के प्रयासों को आगे बढ़ाया
चातुर्मास का प्रभाव:
कई परिवारों में धार्मिकता बढ़ी
श्रीमान मुरारीलाल जैन का परिवार विशेष रूप से प्रभावित
मुरारीलाल जैन का परिवार:
सदस्य: मुरारीलाल, पत्नी संगीता, बेटा मयंक, बेटी पायल
सभी ने धर्म की राह अपनाई
महात्माओं को गुरु रूप में स्वीकार किया
पायल की दीक्षा इच्छा:
परिवार में विवाद शुरू हुआ
रोजाना नई बहस और तनाव
पायल का दृढ़ संकल्प
धार्मिक गतिविधियाँ विवाद का कारण बनीं
पायल के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति

परिवार का विरोध

मुख्य बिंदु:
पायल पर बढ़ता दबाव:
धार्मिक गतिविधियों पर रोज नई चुनौतियाँ
हर साधना, पूजा और प्रार्थना संघर्ष बन गई
परिवार द्वारा उत्पीड़न:
भाई द्वारा सामायिक में बाधा
गुरुओं के फोटो और धार्मिक किताबों को नष्ट करना
उबले पानी में कच्चा पानी मिलाना
तांत्रिक प्रयोग, भभूत और सिंदूर का दुरुपयोग
शारीरिक हिंसा, यहाँ तक कि गला दबाने का प्रयास
2021 का चातुर्मास:
पायल को नजरबंद रखा गया
सिर्फ प्रवचन के लिए उपाश्रय जाने की अनुमति
महात्माओं से बातचीत पर प्रतिबंध
लगातार निगरानी
पायल की दृढ़ता:
हर चुनौती के बाद और मजबूत होना
धार्मिक अभ्यास और सेवा के प्रति बढ़ती निष्ठा
गुप्त धार्मिक अध्ययन:
संघ की पाठशाला संभालना
छिपकर 5 प्रतिक्रमण, 4 प्रकरण, एक भाष्य, संस्कृत का अध्ययन
कठोर प्रतिबंध:
पल्लीवाल क्षेत्र में हुए ऐतिहासिक दीक्षा कार्यक्रम में भी शामिल होने की अनुमति नहीं
यह सारांश पायल के जीवन में आए कठिन परीक्षणों, उसकी दृढ़ता, और उसके धार्मिक विश्वासों के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जबकि उसका परिवार उसे हर संभव तरीके से रोकने का प्रयास करता रहा।

गुरु भगवंतों की सलाह

गुरु का समर्थन:
पायल को डायरी लिखने की सलाह
पायल ने लिखना शुरू किया "मेरी दीक्षा हो गई है"
भाई मयंक का विरोध:
डायरी के पन्ने फाड़ दिए
महाराज साहेब के प्रति द्वेष
परिवार की निष्क्रियता:
माता-पिता और परिवार मूक दर्शक बने रहे
पायल का मानसिक संघर्ष:
डिप्रेशन में चली गईं
घर छोड़ने की इच्छा
समाज के अग्रणियों का हस्तक्षेप:
गुरु भगवंत द्वारा समझाया गया
मुरारीलाल जी को समझाया गया
ऋषिकेश प्रवास:
शांति के लिए मौसी के पास भेजा गया
तीन महीने का प्रवास
घर लौटने का भय:
पुरानी परिस्थितियों के पुनरावर्तन का डर
बिना सूचना के घर छोड़ने का निर्णय

घर से भागने की इच्छा

पायल का लंबा संघर्ष (2017-2021):
बार-बार गुरु से घर छोड़ने की इच्छा व्यक्त की
गुरु द्वारा हमेशा मना किया गया
पायल का अंतिम निर्णय:
धैर्य खोने पर स्वयं भागने का फैसला लिया
घर छोड़ना:
24/07/2022 को ऋषिकेश से भागी
पालीताणा के आदिनाथ मंदिर पहुंची
27/07/2022 को परिवार को सूचित किया
कानूनी कार्रवाई:
01/08/2022 को एफिडेविट दर्ज कराया
अपनी बालिगता (23 वर्ष), शिक्षा और जिम्मेदारी का उल्लेख
घरेलू प्रताड़ना और धार्मिक स्वतंत्रता के अभाव का वर्णन
आगे की यात्रा:
पालीताणा में 15 दिन अन्य साध्वी के पास रही
अंत में अपनी गुरुणी साध्वी श्री धैर्यनिधि जी के पास प्रतापगढ़ पहुंची

अस्वीकृति और संघर्ष

परिवार का प्रतिक्रिया:
पायल को त्याग दिया
उसके चरित्र पर सवाल उठाए
दो साल तक लगभग कोई संपर्क नहीं रखा
पायल की दृढ़ता:
साधना में और मजबूत हुई
दीक्षा के लिए प्रयास:
गच्छाधिपति से दीक्षा की मांग
अनुमति का इंतजार करने को कहा गया
स्वयं वेश धारण:
15 अप्रैल 2024 को खुद बाल काटे
साध्वी के कपड़े पहनकर वेश परिवर्तन किया
सावधानीपूर्वक कदम:
दीक्षा से पहले पत्र लिखा
परिवार, पुलिस और खुद के पास एक-एक प्रति रखी
स्वेच्छा से दीक्षा लेने की बात स्पष्ट की
भावनात्मक संदेश:
मीरा बाई का उदाहरण दिया
आत्महत्या और आत्मकल्याण के बीच चुनाव का उल्लेख
धार्मिक मार्ग को श्रेष्ठ माना

विधिपूर्वक दीक्षा

गच्छाधिपति की अनुमति:
पायल की परिस्थिति जानने के बाद आधिकारिक दीक्षा की अनुमति दी
परिवार का विरोध:
अविधिवत दीक्षा को अमान्य बताया
विधिवत दीक्षा:
26 अप्रैल 2024 को कोल्हापुर के पास कलश मंदिर में संपन्न हुई
इस दौरान परिवार से कोई संपर्क नहीं
बड़ी दीक्षा:
14 जून 2024 को रानेबेन्नूर में हुई
गच्छाधिपति के आशीर्वाद और संघ की शुभकामनाओं के साथ संपन्न
नया नाम:
पूज्य साध्वी जी श्री नव्यनिधि श्री जी महाराज साहेब
वर्तमान स्थिति:
संयम जीवन प्रगतिशील
प्रसन्न और आनंदित

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